सच बताऊँ? मैं भी उन लोगों में से हूँ जो नॉनवेज नहीं खाते। चिकन, अंडा… सब कुछ साइड में। लेकिन फिर एक वक्त ऐसा आया जब हर वक्त थकान रहने लगी, दिमाग सुन्न-सा रहने लगा, और शरीर भी जैसे हर वक्त स्लो मोड पर चला गया था।
डॉक्टर बोले—”भाईसाहब, तुम्हारे शरीर में विटामिन B12 की भारी किल्लत है!”
अब दिक्कत ये थी कि हर कोई यही कह रहा था कि “अंडा खाओ, चिकन खाओ, तभी ठीक होगा।” लेकिन मैं वेजिटेरियन हूं यार! तो अब?
यहीं से मेरी मोरिंगा (moringa)से जान-पहचान हुई।
मोरिंगा — सीधा-साधा दिखने वाला पत्ता, लेकिन काम करता है रॉकेट की तरह
पहली बार जब नाम सुना, तो लगा कोई आयुर्वेदिक टोटका होगा। लेकिन जब गहराई से पढ़ा, तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं।
मोरिंगा यानी सहजन। इसका हर हिस्सा — पत्ता, डंडी, बीज — बॉडी के लिए अमृत जैसा है। खासतौर पर मोरिंगा पाउडर, जो मेरे लिए तो गेम चेंजर साबित हुआ।
और हां, मोरिंगा में सिर्फ B12 ही नहीं होता। भाईसाहब, ये पूरा न्यूट्रिशन का डब्बा है —
- विटामिन A, C, E, K
- कैल्शियम
- आयरन
- पोटैशियम
- मैग्नीशियम
- और वो सारे नाम जिनका उच्चारण मुश्किल है लेकिन शरीर को बहुत फायदा देते हैं (फ्लेवोनोइड्स, पॉलीफेनोल्स वगैरह-वगैरह)।
शरीर जब B12 के लिए तरसता है
अब देखो, जब शरीर में B12 की कमी होती है, तो ये सब झेलना पड़ता है:
- हर वक्त थकान
- दिमाग जैसे कुहासा बन जाए
- हाथ-पैर झुनझुनाने लगें
- एनर्जी खत्म, मोटिवेशन गायब
- और हाँ, एनीमिया भी हो सकता है
मतलब, मजाक नहीं है यार।
मोरिंगा को डाइट में शामिल करना बच्चों का खेल है
अब अगर तुम सोच रहे हो कि ये भी कोई झंझट वाला हेल्थ हैक है, तो सुनो —
मैं खुद इसे ऐसे लेता हूँ:
- रोज सुबह एक छोटा चम्मच मोरिंगा पाउडर, दूध या पानी में डालकर पी जाता हूँ।
- कभी-कभी इसकी हरी पत्तियों को सब्जी में डाल देता हूँ।
- और हाँ, इसकी चाय भी आती है — सर्दियों में तो वाह भाई वाह!
मेरा रिजल्ट?
3 हफ्ते में फर्क दिखने लगा।
- एनर्जी वापस आ गई
- दिमाग फिर से शार्प लगने लगा
- और सबसे बड़ी बात — अब मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैं कोई कमी झेल रहा हूँ क्योंकि मैं नॉनवेज नहीं खाता।
Bottom Line (सिर्फ स्टाइल में, बोरिंग नहीं)
अगर आप भी मेरी तरह वेजिटेरियन हैं, और बिना चिकन-अंडा खाए भी खुद को स्ट्रॉन्ग और हेल्दी रखना चाहते हैं, तो मोरिंगा ट्राय करो।
ये कोई फैन्सी हेल्थ प्रोडक्ट नहीं है। ये तो वही देसी चीज़ है जो हमारी दादी-नानी पीढ़ियों से यूज़ करती आ रही हैं — बस हमने उसे भूल दिया।
अब फिर से याद करने का टाइम है। शरीर भी थैंक यू बोलेगा, और जेब भी।
